नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके अपने चैनल पर। आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं भगवान श्री कृष्ण की एक अद्भुत और प्रेरणादायक आध्यात्मिक कहानी।
“भगवान श्री कृष्ण, जिनकी लीलाएं और कहानियां अनंत हैं, ने अपने जीवन से हमें अनेक गहरे संदेश दिए हैं। आज की कहानी है ‘गोवर्धन पर्वत की लीला’। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और हमें किसी भी परिस्थिति में धैर्य और विश्वास नहीं छोड़ना चाहिए।”
बहुत समय पहले की बात है, वृंदावन में लोग इंद्र देव की पूजा करते थे। वे सोचते थे कि इंद्र देव ही उन्हें वर्षा देते हैं और उनकी फसलें अच्छी होती हैं। एक दिन श्री कृष्ण ने गाँववालों से पूछा, “क्या इंद्र देव ही हमारी फसलों को उगाते हैं या हम अपनी मेहनत से यह सब करते हैं?”
गांववालों ने जवाब दिया, “इंद्र देव की कृपा से ही हमारी फसलें उगती हैं।”
श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, “इंद्र देव को इतना महत्व क्यों देना? क्यों न हम उस गोवर्धन पर्वत की पूजा करें, जो हमें चारा, पानी और जीवन देता है?”
गांववाले पहले तो अचंभित हुए, परंतु कृष्ण की बातों में सच्चाई और विश्वास देख, वे मान गए। उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा की और इंद्र देव की पूजा बंद कर दी।
इंद्र देव इससे क्रोधित हो गए। उन्होंने वृंदावन में भारी वर्षा और तूफान भेजा। सभी लोग भयभीत हो गए और कृष्ण के पास आए। कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत, मैं हूँ ना।”
श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया। सभी गाँववाले और पशु उसके नीचे आकर सुरक्षित हो गए। सात दिनों तक कृष्ण ने पर्वत को उठाए रखा और अंततः इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने आकर श्री कृष्ण से माफी मांगी और वर्षा बंद कर दी।
कृष्ण ने कहा, “इंद्र, मैंने यह सब तुम्हें नीचा दिखाने के लिए नहीं किया, बल्कि यह दिखाने के लिए किया कि हमें केवल एक ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए और अपनी मेहनत पर भरोसा रखना चाहिए।”
और इस प्रकार, भगवान श्री कृष्ण ने गाँववालों को सिखाया कि सच्ची श्रद्धा और विश्वास किस पर होना चाहिए। गोवर्धन पर्वत की यह लीला हमें बताती है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और हमें कभी भी कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए।
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