नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा एक अहम् रीति है। जानिए इस दिन के महत्व, रीति रिवाज, मां चंद्रघंटा के अवतार और उनके बलिदान के बारे में।

दिन 3: मां चंद्रघंटा की पूजा
नवरात्रि के तीसरे दिन, मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भक्तजनों को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए जो एक सुंदर चंद्रमा के समान दिखती हैं। मां चंद्रघंटा का मतलब होता है “दस हजार चंद्रमा” जो उनकी अलौकिक खूबसूरती को दर्शाता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तजनों को संतोष, शांति, समृद्धि और शक्ति मिलती है। इस दिन को मनाने से हमें अपने जीवन में सत्य व अहिंसा को अपनाना चाहिए जो हमारे जीवन को सुखी बनाते हैं।
चंद्रघंटा का अवतार
मां चंद्रघंटा का अवतार भगवान शिव की आराधना के बाद हुआ था। उन्होंने अपनी तपस्या से चंद्रघंटा नामक देवी को प्रसन्न कर लिया था। इस दिन को मनाकर हमें धर्म, संस्कृति, और इतिहास के बारे में जानने का मौका मिलता है।
चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

इस दिन को मनाने से हमें शांति, सदभाव, और संतुलित जीवन मिलता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से हमें मन की शुद्धता, शक्ति, और सुख मिलता है। इस दिन को मनाने से हम अपने जीवन में शांति और संतुलन के साथ अगले नौ दिनों के लिए तैयार हो जाते हैं।
इस प्रकार, नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से हमें समृद्धि, सम्म पद्धति व संतुलित जीवन की शक्ति मिलती है। इस दिन को मनाकर हम अपने जीवन में सत्य व अहिंसा को अपनाने की प्रेरणा ले सकते हैं जो हमारे समाज के लिए एक बेहतर भविष्य की ओर एक कदम हो सकता है।
इस प्रकार, नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से हमें संतोष, शांति, समृद्धि, और शक्ति मिलती है। इस दिन को मनाकर हम धर्म व संस्कृति के महत्व को समझते हैं और अपनी ज़िन्दगी में सत्य व अहिंसा को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं।
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